जब इंसान को जरा-जरा सी बात दिल-दिमाग मे असर करने लगे, हर पल दिमाग मे एक बेचैनी सी रहने लगे और ज़्यादातर मानसिक रूप से परेशान या थका हुआ रहे, तो ये आत्मिक कमजोरी की पहचान है। जानिए इससे कैसे बचें: जान है तो जहान है अमीर, गरीब, चोर, डाकू या कोई भी व्यक्ति जैसे भी विचार रखता हो और कोई भी धर्म से जुड़ा हो, संतो के वचन उन सभी के लिए हमेशा एकसमान सुखदायी; यानी सुख देने वाले होते हैं। पूज्य पिता संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सा फरमाते हैं कि मालिक का नाम जपना हर इंसान के लिए अति जरूरी है क्योंकि कोई भी व्यक्ति जब सुमिरन नहीं करता तो वह आत्मिक रूप से कमजोर हो जाता है और जरा-जरा सी बात उसके दिल-दिमाग मे असर करने लगती है, हर पल दिमाग के अंदर एक बेचैनी सी रहती है और ज़्यादातर वह इंसान मानसिक रूप से परेशान या थका हुआ रहता है। नाम का जाप न करने से गम, चिंता, टेंशन, परेशानियाँ और बिमारियाँ इंसान को सताती रहती हैं, लेकिन अगर जीव सुमिरन करे तो वह तमाम गम, चिंताएँ और परेशानियों से आज़ादी पा सकता है। इंसानी शरीर मे जब तक भगवान की दी हुई आत्मा रहती है तब तक इंसान चलता-फिरता रहता है और जब आत...