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बुरे लोगो का बोलबाला है और सही इंसान को लोग पागल समझते हैं, जानिए क्यों >
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Saint Dr. MSG सत्संग मे जब कोई इंसान चलकर आता है तो उसके जन्मो-जन्मो के पाप-कर्म जोकि इंसान की आत्मा पर एक भोज की तरह होते हैं , वो कटते चले जाते हैं। सत्संग का मतलब उस परम पिता परमात्मा को याद करना और करवाना होता है। इंसान जब उस मालिक की याद मे बैठता है तो उसकी सारी परेशानियाँ और सारे गम पंख लगाकर उड़ जाते हैं। मालिक के नाम के अंदर ऐसी ताकत है , ऐसी शक्ति है कि जो भी रब के नाम से जुड़ता है उसके अंदर एक स्फूर्ति , खुशहाली और एक ताजगी पैदा हो जाती है। बुरे लोगो का बोलबाला है और सही इंसान को लोग मूर्ख समझते हैं आज का दौर बड़ा ही खुदग़र्ज़ी का दौर है , हर तरफ स्वार्थी लोगो का बोलबाला है , अच्छे इंसानो को लोग मूर्ख समझते हैं और जो अच्छाई करता है या भले काम करता है , उसको लोग ये सोचते हैं कि वो व्यक्ति कहीं-न-कहीं कमजोर होगा , जबकि असलियत मे ये उन लोगो की कमजोर मानसिकता (यानि छोटी सोच) को दर्शाता है। लेकिन पूज्य गुरू जी के अनुसार ‘ शूरवीर योद्धा और असली बहादुर लोग सिर्फ वही लोग हैं जो आज की व्यस्त जीवनशैली और कलयुग के इस भयानक दौर मे मानवता भलाई के काम करते हैं ’ । ...
[12/05/2019] Watch Live Naamcharcha at Shah Satnam Ji Dham, Dera Sacha Sauda,Sirsa, HR-IN.
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If you're facing any problem in watching live broadcasting, Refresh this page by scrolling down to the page or Find & Watch Directly on YouTube: https://www.youtube.com/results?search_query=dera+sacha+sauda+live Other Detail: Destination of Live Broadcasting (by): Shah Satnam Ji Dham, Dera Sacha Sauda, Sirsa, Haryana, India. Live Naam-Charcha Date & Timing: 12-05-2019, From 03:00pm to 05:00pm (IST - India Time Zone) Live Broadcasting On: Youtube.com (https://youtu.be/oj1cpgw-gck)
खुलेगी जब सुमिरन की तिजोरी, दूर होगी तब आत्मिक कमजोरी, जानिए कैसे बनाएँ अपनी आत्मा को बलवान..
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जब इंसान को जरा-जरा सी बात दिल-दिमाग मे असर करने लगे, हर पल दिमाग मे एक बेचैनी सी रहने लगे और ज़्यादातर मानसिक रूप से परेशान या थका हुआ रहे, तो ये आत्मिक कमजोरी की पहचान है। जानिए इससे कैसे बचें: जान है तो जहान है अमीर, गरीब, चोर, डाकू या कोई भी व्यक्ति जैसे भी विचार रखता हो और कोई भी धर्म से जुड़ा हो, संतो के वचन उन सभी के लिए हमेशा एकसमान सुखदायी; यानी सुख देने वाले होते हैं। पूज्य पिता संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सा फरमाते हैं कि मालिक का नाम जपना हर इंसान के लिए अति जरूरी है क्योंकि कोई भी व्यक्ति जब सुमिरन नहीं करता तो वह आत्मिक रूप से कमजोर हो जाता है और जरा-जरा सी बात उसके दिल-दिमाग मे असर करने लगती है, हर पल दिमाग के अंदर एक बेचैनी सी रहती है और ज़्यादातर वह इंसान मानसिक रूप से परेशान या थका हुआ रहता है। नाम का जाप न करने से गम, चिंता, टेंशन, परेशानियाँ और बिमारियाँ इंसान को सताती रहती हैं, लेकिन अगर जीव सुमिरन करे तो वह तमाम गम, चिंताएँ और परेशानियों से आज़ादी पा सकता है। इंसानी शरीर मे जब तक भगवान की दी हुई आत्मा रहती है तब तक इंसान चलता-फिरता रहता है और जब आत...
कामवासना की भावना हर पवित्र रिश्ता ख़ाक बना देती है | जानिए इससे कैसे बचा जाए ››
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काम वासना की भावना एक साइलेंट किल्लर है, जोकि न केवल एक इंसान को बर्बाद करती है बल्कि पूरे कुल उजाड़ देती है। अधिक जानिए » सतगुरु जी की प्यारी साध-संगत जीओ, हर मजहब के पवित्र ग्रंथ और संत-पीर-फकीरों के अनमोल वचनों के अनुसार जो भी व्यक्ति आज के इस घोर कलयुग में मन के चंगुल से निकलकर, भगवान-अल्लहा-वाहेगुरु-गॉड के नाम की चर्चा करते हैं व साथ-ही-साथ में अपने अस्त-व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर मानवता भलाई के कार्य करते हैं, तो उस समय में ऐसे लोगो का दर्जा देवता और देवियों से भी कई गुणा ज्यादा बढ जाया करता है और ऐसे जीव अति भाग्यशाली हो जाया करते हैं. हमारे कहने का मतलब यह है कि, आप अपने निजी जीवन में जैसे भी हैं या जैसे भी कार्य करते हैं, हमे उनसे कोई मतलब नहीं है, लेकिन अगर इस समय आप इस लेख या भाषण को पढ़ रहे हैं तो आप हमारे लिए देवी और देवताओं के समान हैं और इसलिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं और PapaTheGreat.Net पर आने के लिए तहदिल से स्वागत करते हैं जी. आज आपकी सेवा में जिस भजन पर सत्संग स्वरुप ये आर्टिकल लिखा गया है, वो भजन है: संत डॉ. गुरमीत राम ...
सुमिरन टॉनिक - करे मन के दिए जख्मों का शर्तिया इलाज | बढ़ाए आत्मिक शक्ति और बनाए आत्मनिर्भर इंसान | जानिए कैसे:
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जब इन्सान किसी के सहारे हो जाता है तो यकीनन एक दिन दुःख-परेशानियाँ उसे घेरती हैं. इसलिए परमानेंट हमदर्द सिर्फ ईश्वर को बनाइये। Lines & Image by: PapaTheGreat.Net कोई भी इन्सान अगर इश्वर का नाम लेता है तो उसका आत्मबल बड़ता चला जाता है, और आत्मबल जिनके अंदर होता है वो लोग हारी हुई बाजी भी जीत जाया करते हैं. आत्मबल हांसिल करने के लिए लोग जंगलो, पहाड़ो और उजाड़ों में न जाने कितने साल घूमते रहते हैं और भगवान की तलाश करते रहते हैं लेकिन असलियत में हमारे सभी धर्मो का सार (निचोड़) यही है कि चाहे घर-गृहस्थी में रहो या चाहे त्यागी-तपस्वी बनकर रहो, अगर राम का नाम जपोगे सिर्फ तभी ये जालिम मन काबू में आ सकता है वरना ये काबू में नहीं आता. गुरु जी फरमाते हैं कि पिछले कई सत्संगो में लोगों ने हमसे यह प्रश्न पूछा कि मन और आत्मा की आवाज़ में क्या अंतर है ? आखिरकार कैसे इस बात की पहचान करें कि कौन से विचार मन के हैं और कौन से विचार आत्मा के हैं. इसी बात को स्पष्ट करते हुए 31 मई 2017 की रूहानी मजलिस के दौरान गुरु जी ने बताया कि: हमारे पवित्र धर्मों में ये माना गया है ...
भगवान तो गलतियों का पुतला है, वो नहीं जानता कब क्या करना चाहिए. पढ़िये पूरा सच:-
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इस घोर कलयुग में सेवा करना, भक्ति इबादत करना अपने आप में बेमिसाल बात है, लेकिन हर इन्सान यह कर नही पाता. कभी मन हावी हो जाता है और जब मन शांत होता है तो दुनिया में कहीं ना कहीं मनमते लोगों का संग हो जाता है जिससे की मन फिर से इन्सान को दबा देता है. इसलिए सोहबत हमेशा सत्संगी की और जो व्यक्ति अल्लहा-वाहेगुरु की चर्चा करे, उसकी ही करो. बाहरी रूप से देखने में बहुत सारे लोग संसार में अल्लहा-वाहेगुरु-गॉड-रब को याद करते हैं और यूँ लगता है मानो उन से बड़ा दुनिया में मालिक को प्यार करने वाला कोई और है ही नहीं. पर ये जरूरी नहीं कि जो दिखता है वही होता है, हाथी के दांत खाने के और, और दिखाने के और वाली बात है. आज संसार में ज़्यादातर लोग अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं. लोगों को बुद्धू बना देना, धीरे-धीरे बातों ही बातों में इन्सान को गुमराह कर देना इत्यादि ना जाने कितनी तरह की चाल बाजियां खेलते हैं. तो ऐसे लोगों से बचकर रहो और साथ-साथ में सेवा संग सुमिरन करो. Dr. MSG फरमाते हैं कि अपनी गलतियाँ किसी को नजर नहीं आती, अपनी कमियां कोई देखना नहीं चाहता कि मुझमे य...