संत बाबा राम रहीम की फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी एक ओर सच्चाई का हुआ पर्दा फास | लोगों को देखने के लिए मिला सच्चाई का अनूठा रूप :-

Truth Behind To Make Films MSG, MSG-2 and MSG-3 | Papathegreat

संत डॉ बाबा राम रहीम के फ़िल्मी जीवन की सच्चाई

फिल्में कलयुग में जैसे कि हमारे शरीर का अंग बन चुकी हों, खास करके नौजवान लड़के और लड़कियों के लिए । चलो हम मानते हैं कि फिल्में देखना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन इनमें ऐसा अच्छा भी क्या है जो इन्हें देखे बिना नींद ही न आए ? फिल्मों में ऐसा क्या होता है जो लोगों को पसंद आता है ? क्यों फिल्म के आने से पहले ही टीवी व अख़बारों में उसके विज्ञापन आने शुरू हो जातें हैं ? क्यों हर एक अभिनेता और अभिनेत्री अपनी फिल्म को प्रमोट करने के लिए कपिल शर्मा जैसे कार्यक्रमों पर जाते हैं ?

अब जब हमने इन सवालों को कुछ फिल्म देखकर आए लोगों से पूछा तो उन्होंने बहुत ही साधारण तरीके व आसानी से उत्तर दिया :-वो बोले हमें इसमें मज़ा आता है । तब हमने सोचा कि क्या हम पागल हैं😥 ? क्या ये भी कोई प्रशन है कि हम फिल्म क्यों देखते हैं ?

हमने इस विषय पर काफी समय सोचा कि हमने ये प्रशन आखिर पूछा ही क्यूँ ? ये तो एक साधारण सी बात है कि इंसान कोई भी काम करता है तो वो मज़े के लिए ही करता है और जहाँ उसे ज़्यादा मज़ा मिलता है वो उसी दिशा में बढा चला जाता है । अब फिर वो मज़ा चाहे कैसा भी क्यों न हो, अच्छा हो या बुरा, मज़ा तो मज़ा ही होता है । उदहारण के तौर पर :- जब गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड एक दूसरे से बातें करते हैं तो अगर हम उनसे पूछें कि वो ऐसा क्यों करते हैं ? तो जवाब होगा ~ चन्द समय के मज़े के लिए !, रोटी खाते समय परिवार के सदस्य चुपचाप रोटी न खाकर बातें करते हुए या फिर कोई नाटक देखते हुए रोटी क्यों खाते हैं ? मज़े के लिए !, शादी होने के बाद दूल्हा-दुल्हन हनीमून पर क्यूँ जाते हैं ? मज़े के लिए ।।

तब हमें समझ आई की ये सारा माजरा तो मज़े का है, जहाँ इंसान को जैसा और जितना मज़ा मिलेगा वो वैसा ही काम करेगा | और उस दिन हमे सच्चाई का एहसास हुआ कि आखिर क्यों सरसे वाले बाबा ने फिल्में बनाना शुरू किया ? हमे समझ आने लगा कि कैसे बाबा ने दुनियादारी के मज़े को भक्ति से जोड़ा ? तब हमें समझ आया कि क्यों लोगों ने एक संत बाबा को रॉकस्टार बाबा का दर्जा दिया ? तब हमें एहसास हुआ कि कितना मुश्किल होता होगा एक इंसान के लिए संत से रॉकस्टार बाबा बनना ? तब हमें बाबा की मेहनत पर तरस आने लगा कि कितना मुश्किल होता होगा समाज को सुधारना जब कोई अच्छे काम में आपके विरुद्ध हो ? तब हमें गर्व महसूस होने लगा, ये सोचकर कि कोई तो ऐसा आया जो दुनिया को सुनानेे में नहीं, असलियत दिखाने से विश्वास रखता है ! हमें एहसास होने लगा कि कितना मुश्किल होता होगा इतने लोगों को संभालना व उनको लंगर-पानी करवाना ! फिर हमें बातें याद आने लगी कि कैसे एक माँ अपने बच्चों से न मिल पाने पर बेचैन हो जाती है और बच्चों से मिलने के लिए तड़पती है, तो उस संत बाबा गुरमीत राम रहीम और उनकी माँ पर क्या बीता होगा जब उन्होंने गुरुगद्दी सम्भाली होगी ! बस इसके बाद हमारे अंदर और कुछ सोचने की क्षमता नहीं रही ।

ये बात सुनकर हमारी आँखों में आसूँ आने लगे और हमारे रोंगटे खड़े हो गए, ये सोचकर कि अगर किसी दिन एक एक करके अगर बाबा राम पर लगाए इलज़ाम सच साबित न हुए तो क्या हम उस मालिक और खुद की आत्मा से नज़रे मिला पाएंगे | मरना तो दूर की बात है क्या हम जीते जी भी साँस ले पाएँगे |

इसलिए उस दिन से हमने ये सोच लिया कि जब तक हम खुद सच्चाई का पता नहीं लगा लेते तब तक हम दुनिया की तो क्या अगर भगवान भी खुद चलकर आए और किसी के बारे में कुछ भी कहे तो भी हम उसकी बातों पर हरगिज़ विश्वास नहीं करेंगे ||

ऊपर बताई गयी सारी बातें 5 मित्रों के असलियत निजी वार्तालाप पर आधारित है जिसमें कि एक मित्र PapaTheGreat.Net का प्रबंधक भी शामिल था ।

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