भगवान तो गलतियों का पुतला है, वो नहीं जानता कब क्या करना चाहिए. पढ़िये पूरा सच:-


इस घोर कलयुग में सेवा करना, भक्ति इबादत करना अपने आप में बेमिसाल बात है, लेकिन हर इन्सान यह कर नही पाता. कभी मन हावी हो जाता है और जब मन शांत होता है तो दुनिया में कहीं ना कहीं मनमते लोगों का संग हो जाता है जिससे की मन फिर से इन्सान को दबा देता है. इसलिए सोहबत हमेशा सत्संगी की और जो व्यक्ति अल्लहा-वाहेगुरु की चर्चा करे, उसकी ही करो.

बाहरी रूप से देखने में बहुत सारे लोग संसार में अल्लहा-वाहेगुरु-गॉड-रब को याद करते हैं और यूँ लगता है  मानो उन से बड़ा दुनिया में मालिक को प्यार करने वाला कोई और है ही नहीं. पर ये जरूरी नहीं कि जो दिखता है वही होता है, हाथी के दांत खाने के और, और दिखाने के और वाली बात है. आज संसार में ज़्यादातर लोग अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं. लोगों को बुद्धू बना देना, धीरे-धीरे बातों ही बातों में इन्सान को गुमराह कर देना इत्यादि ना जाने कितनी तरह की चाल बाजियां खेलते हैं. तो ऐसे लोगों से बचकर रहो और साथ-साथ में सेवा संग सुमिरन करो.  

Dr. MSG फरमाते हैं कि अपनी गलतियाँ किसी को नजर नहीं आती, अपनी कमियां कोई देखना नहीं चाहता कि मुझमे ये कमी है, मैं ये काम गलत कर रहा हूँ, ये सब सब चीज़े तो उसके ख्याल में ही नहीं आती बल्कि ज़्यादातर लोग अपनी गलतियों को नज़र अंदाज़ करके अल्लहा-वाहेगुरु-गॉड में गलतियाँ निकालते रहते हैं और फिर एक दिन परिणाम बुरा होता है. उदहारण के लिए आपको एक बात बताते हैं:-

Edited Original Image From Movie: Jattu Engineer

दो शराबी हुआ करते हैं जो हमेशा कोई ना कोई दुनियावी नशे में धुत्त रहा करते थे. एक दिन जब वो दोनों  बेरी के पेड़ के निचे बैठकर आराम से बातों में व्यस्त थे कि तभी अचानक बातों बातों से एक बात निकलकर आई कि मालिक बहुत गलतियाँ करता है, कौन कहता है भगवान से गलती नहीं होती ?

तो ये सुनकर दूसरा शराबी कहने लगा कि क्या गलती कर दी भगवान ने ?  शराबी ने जवाब दिया कि देख सामने 'वो मरियल सा पेड़/बेल है' और उस पर कितना बड़ा कद्दू(सब्जी) और लौकी(सब्जी) लगा हुआ है और इधर देखो कितनी बड़ी बेरी है जिस पर इतने छोटे छोटे बेर  लगे हुए हैं. देखो ! है ना मालिक का दिमाग खराब.

अब दूसरा शराबी भी पूरा अमली था, कहने लगा 'बात तो सही है तेरी भाई' सच में भगवान का दिमाग खराब है. भगवान को चाहिए था कि इतनी बड़ी बेरी का पेड़ जोकि इतना मजबूत है, इस पर कद्दू या लौकी की सब्जी लगानी चाहिए थी और वो मरियल  सी बेल पर ये बेर लगाता.

इस तरह जब थोड़ी देर हुई तो अचानक हवा का एक झोंका आया और बेरी के पेड़ से एक बेर गिरकर उस शराबी पर गिर गया जिसने पहले ये कहा था कि भगवान बहुत गलतियाँ करता है. लेकिन जब वो बेर उस पर गिरा तो वही शराबी बोला कि: "सुन भाई ! भगवान की कोई गलती नहीं. भगवान जो करता है सबकी भलाई के लिए ही करता है.".

तो अब दूसरा शराबी पूछता है कि अभी तुम कह रहे थे भगवान तो गलतियों का पुतला है और अब कह रहे हो कि उसकी कोई गलती नहीं .

पहला शराबी बोला: अभी हवा का झोंका आया था जिससे की एक बेर मेरी नाक पर आकर गिर गया था और अब जरा सोच कि अगर यहाँ बेर की जगह कद्दू, पेठा या लौकी की सब्जी गिरी होती तो मेरे शरीर में नाक नाम का कोई अंग ही नहीं रहना था, तो इसलिए आज से भगवान में कोई कमियां नहीं निकालेंगें. तो ये बात सुनकर दूसरा शराबी भी उसकी बात में हाँ में हाँ मिलाने लग गया.

कहने का अर्थ है कि: अपनी गलतियाँ नहीं निकालता इन्सान. पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम रहीम सिंह जी इन्सान फरमाते हैं कि हमने बहुत से लोगों को देखा है जो हर वक्त भगवान में कमियां निकालते रहते हैं जबकि ऐसे लोगों के खुद के कर्म बुरे होते हैं और जब उनके साथ कुछ गलत होता है तो दोष भगवान को देते हैं क्योंकि कोई दूसरा तो उनकी अंदर की बेचैनी को समझ नहीं पाता. गुरु जी फरमाते हैं कि बुरे काम नहीं करने चाहिए, ठ्ग्गी-बेईमानी करके धन-रुपया नहीं कमाना चाहिए लेकिन नहीं ! इन्सान का मन उसे ये बातें मानना तो दूर सुनने भी नहीं देता.

ऐसा लगता है जैसे भेंस के सामने बीन बजा रहे हो क्योंकि बीन से तो सांपो पर काबू किया जा सकता है लेकिन ये मन तो उस सांप से भी ज्यादा खतरनाक और जहरीला है जिसका कोई पता नहीं कब आपको निगल जाए. लेकिन इस पर काबू पाने के लिए आपको नियमानुसार सुमिरन करना होगा अन्यथा दुनिया में कोई ऐसी दवा या रसायन नहीं जिसका इस्तेमाल करके आप मन को काबू कर पाएं.

इसलिए, अगर आप जानते हो कि आपके अंदर कोई बुराई है और आप उसे खत्म करना चाहते हो तो इसके लिए जरूरी है कि सुबह-शाम गुरुमंत्र, यानी method of meditation का जाप करो, और अगर आपको अपनी बुराई का या बुरे कर्मों का नहीं पता कि आखिर आपके ऐसे कौन से बुरे कर्म हैं जिनके कारण आपके रास्ते में अड़चने आ रही हैं या ये कहिये कि आपको सफल होने से रोक रही हैं तो ऐसी परेशानियों का हल भी मालिक का नाम ही है.

जब आप लगातार 2-3 दिन सुमिरन करना शुरू करेंगे तो आपको एहसास होना शुरू हो जाएगा कि पूरे दिन आपने कौन से अच्छे कर्म किये और कौन से कर्म बुरे. ये पता लगने के बाद कि सही और गलत में क्या अंतर है, फिर आप रूहानियत की अगली सीढ़ी चढ़ना आरम्भ करेंगे जिसमे कि आप अपने मन पर काबू कैसे पा सकते हैं ये सीखेंगे और बिना कुछ बदले में दिए नर्क से निकलकर स्वर्ग की और बढ़ते चले जाएँगे.     


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