कामवासना की भावना हर पवित्र रिश्ता ख़ाक बना देती है | जानिए इससे कैसे बचा जाए ››

काम वासना की भावना एक साइलेंट किल्लर है, जोकि न केवल एक इंसान को बर्बाद करती है बल्कि पूरे कुल उजाड़ देती है। अधिक जानिए »
सतगुरु जी की प्यारी साध-संगत जीओ, हर मजहब के पवित्र ग्रंथ और संत-पीर-फकीरों के अनमोल वचनों के अनुसार जो भी व्यक्ति आज के इस घोर कलयुग में मन के चंगुल से निकलकर, भगवान-अल्लहा-वाहेगुरु-गॉड के नाम की चर्चा करते हैं व साथ-ही-साथ में अपने अस्त-व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर मानवता भलाई के कार्य करते हैं, तो उस समय में ऐसे लोगो का दर्जा देवता और देवियों से भी कई गुणा ज्यादा बढ जाया करता है और ऐसे जीव अति भाग्यशाली हो जाया करते हैं.

हमारे कहने का मतलब यह है कि, आप अपने निजी जीवन में जैसे भी हैं या जैसे भी कार्य करते हैं, हमे उनसे कोई मतलब नहीं है, लेकिन अगर इस समय आप इस लेख या भाषण को पढ़ रहे हैं तो आप हमारे लिए देवी और देवताओं के समान हैं और इसलिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं और PapaTheGreat.Net पर आने के लिए तहदिल से स्वागत करते हैं जी.

आज आपकी सेवा में जिस भजन पर सत्संग स्वरुप ये आर्टिकल लिखा गया है, वो भजन है:


संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सान फरमाते हैं कि: काम-वासना, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार ये ऐसे पांच चोर हैं या ऐसे रोग हैं जोकि आज लगभग हर व्यक्ति को लगे हुए हैं. इन पांच चोरो का ऐसा प्रभाव है कि लोग ना चाहते हुए भी भगवान से दूर हो जाते हैं, वे भगवान का नाम लेना ही नहीं चाहते, इसके अलावा उन्हें चाहे कोई भी काम में सारा दिन लगवा लो या सारी रात फ़ालतू की बातें करवा लो, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। नौजवान बच्चे व ज़्यादातर बुजुर्ग भी जहाँ काम-वासना की चर्चा शुरू हो जाती है तो वहां ऐसी बातें बहुत देर तक चलती रहती है.

पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि बहुत पहले से ही हमारे पास गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज द्वारा लिखित एक ग्रन्थ था जिसका नाम शायद Nehkalank Avtar है, उसमे बहुत ही जबर्दस्त बात शुरू-शुरू के दो-चार दोहों में ही लिखी थी कि: ऐसा घोर कलयुग आएगा जब माँ बेटे को सेज(sej) पर लेकर सोया करेगी और आज लोग इस बात को माने या ना माने लेकिन कलयुग में ऐसा सौ-प्रितशत हो रहा है यानी उनका कहना आज बिल्कुल सच हो रहा है। इसमें कोई झूठ नहीं कि जो उन्होंने तब लिखा था वो आज ज्यों-का-त्यों सच हो रहा है और अब वो समय चल रहा है और उन्होंने ये भी लिखा कि जब माँ-बेटे के रिश्ते का ऐसा बुरा हाल होगा, तो बाकी रिश्तो का तो हाल बुरा होना ही होना है.

संत डॉ.गुरमीत राम रहीम जी इन्सान फरमाते हैं कि आज समाज में चल रहे अजीबोगरीब(outlandish adjective) सिस्टम इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि घोर कलयुग किसे कहते हैं। लड़का-लडके से शादी करवा रहा है, लड़की-लडकी से शादी करवा रही है, तो क्या आप आज से 100-50 साल पहले ये सोच सकते थे कि ऐसा भी कुछ होगा, बिलकुल नहीं! अरे ऐसा सोचना तो दूर की बात है उस समय ऐसी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता होगा, लेकिन आज ऐसा सच में हो रहा है.
हैरानी तो तब होती है जब लोग ये कहते हैं कि “इसमें हर्ज ही क्या है?” जिसका उत्तर देते हुए गुरु जी ने पूछा कि फिर ये बताओ: अगर इसमें कोई हर्ज ही ना होता तो कुदरत ने ये नियम कि 'लड़का-लड़की आपसी सहमति से या अपने माता-पिता की सहमति से बिना किसी दहेज की लालच किये ही शादी करवाए, ये नियम बनाया ही क्यों होता?'

गुरु जी ने बताया कि: हर्ज तो सौ-प्रतिशत(100%) है और इसका परिणाम भी जरुर सामने आएगा लेकिन जब तक परिणाम सामने आएगा तब तक बहुत देर हो चुकी होगी और तब तक इन्सान बहुत कुछ गवा बैठा होगा और खुद को बर्बादी की और ले जा चुका होगा. वो आदमी या औरत जो भी कुदरत के कायदे-कानून के खिलाफ होकर ऐसे नाजायज़ रिश्ते बनाएँगे वो हमेशा दुखी और दिमागी रूप से परेशान रहेंगे ही रहेंगे. सवाल पैदा नहीं होता कि वो व्यक्ति एक सुखमय जीवन व्यतीत कर पाएंगे जो कुदरत के विरुद्ध चलेगें.

कोई मतलब ही नहीं कि ऐसे व्यक्तियों का दिमागी और शारीरिक संतुलन स्वस्थ रहेगा क्योंकि जैसे-जैसे समय बीता चला जाएगा वैसे-वैसे उनके नाजायज़ रिश्ते का दुष्प्रभाव बीमारियों के रूप में पड़ना शुरु हो जाएगा.

तो कहने का मतलब है कि आज हर जगह बहुत भयंकर काम-वासना की आंधी चल रही है, इस भावना से ग्रसित व्यक्ति जिसे भी देखता है तो वो हमेशा गंदी नजरो से ही देखता है, जैसे कि(उदाहरण के तौर पर): वो लड़का या लड़की कौन है, उसकी शरीर की बनावट कैसी है इत्यादी...अनेकों गन्दे सवालात उसके दिमाग मे चलते रहते हैं और उसकी निगाहें हमेशा एक्सरे(X-Ray) ही उन्हीं चीजों का करती रहती हैं।


क्या माँ, क्या बहन या क्या कोई दूसरा रिश्ता, सब के सब ख़ाक में मिलते जा रहे हैं। विषय-विकारों का ये तूफ़ान; इतना जोरो का चल रहा है कि ये मालिक की भक्ति को इंसानों से दूर बहाए ले जा रहा है और काम-वासना की आंधी में लोग पागल हुए जा रहे हैं।
कोई भी इन्सान जब काम-वासना में डूब जाता है तो उसके लिए कोई और चीज मायने नहीं रखती, वह ये नहीं सोचता कि जो गलती उससे नाजाने या जान-पूछकर हो गयी तो चलो उसकी अब माफ़ी ले लूँ, या मेरे से किसी को गलत बोला गया तो मैं माफ़ी ले लूँ....लेकिन नहीं!

इन्सान का अहंकारी मन उसे ऐसा नहीं करने देता क्योंकि ऐसे समय पर अहंकार काम-वासना के साथ मिल जाता है और इन्सान को अपने गलत कर्मो की माफ़ी नहीं मांगने देता बल्कि उसे गलत काम करने के लिए और अधिक उत्साहित करता है और ख्याल देता है कि “अब जो होगा वो देखा जाएगा” लेकिन पीर-फ़कीर फरमाते हैं कि: “फिर जो होगा वो देखा नही जाएगा, तब तो सिर्फ इन्सान अपने बुरे कर्मो को रोएगा और तड़प-तड़पकर पछताएगा उस टाइम को, लानत देगा अपने आप को कि मेरे मन ने मुझे क्यों नहीं माफ़ी मांगने दी और क्यूँ नहीं मैंने खुद को क्षमा करवा लिया” तो कहने का मतलब ये है कि काम-वासना भी किसी तूफ़ान से कम नहीं क्योंकि दोनों हालातों में परिणाम हमेशा सर्वनाश ही होता है.

यह एक ऐसी भावना है जो बड़ी-छोटी उम्र का लिहाज नहीं करती। इस घोर कलयुग में सिर्फ वही व्यक्ति बुराई से बचे हुए हैं जिन्होंने खुद को मालिक के नाम से जोड़ रखा है और जिन पर मालिक की रहमत है, अन्यथा बाकी लोग इस दलदल में दिन प्रतिदिन धसते चले जा रहे हैं, तड़पे जा रहे हैं, व्याकुल होते जा रहे हैं, दुखी और परेशान होते जा रहे हैं, लड़ाई-झगड़े कर करके हीरा रुपी जन्म गवाए जा रहे हैं और चंद रुपयों के लिए जिस्म बिकवा रहे हैं और खुद को बेचे जा रहे हैं.


प्यारी साध-संगत जीओ, वैश्यावृति में लिप्त दुनिया पर टिप्पणी करते हुए गुरु जी ने फ़रमाया कि: हमने बहुत बार 25 और 15 मेम्बरों व अन्य सेवादारो की टीमे बनाकर जब कई राज्यों में वैश्यावृति रुपी नर्क में फसे लोगो को निकालने के लिए भेजा, तो हमे ये पता चला कि ये कोई एक या दो व्यक्ति नहीं जोकि इस चंगुल में फंसे हैं, बल्कि पूरे के पूरे गाँव वेश्यावृति को बढ़ावा देने में शामिल हैं.
उन गाँवों के घर-घर में वेश्यावृति चलती है और जब डेरा सच्चा सौदा के सेवादर वहां गये तो उन्हें ग्राहक के मुखोटे में वहां जाना पड़ा क्योंकि वहां बैठे जिस्म के सौदागर, सेवादारों को उनके असली रूप में उन्हें आने ना देते, जिसके चलते उन सेवादारों ने बाद में पूज्य गुरु जी से माफ़ी भी मांगी और बताया कि:

जब हमने उन सौदागरों से वेश्याओं के बारे में पूछा तो वे बोले कि ये हमारी लडकियाँ है और सामने तीन कमरे हैं, आप इन्हें वेश्यावृत्ति के लिए ले जा सकते हो, और फिर जब हमने उन लडकियों को बताया कि ओ बहनों! तुम हमारे साथ चलो, हमारे एक पिता जी हैं वो आपको बेटी बनाएँगे और पाक-पवित्र तरीके से आपकी शादियाँ करवाएंगे तो यह बात सुनने पर वे लड़कियां हँस पड़ी और कहने लगी कि हमें किस चीज़ की कमी है जो हम वेश्यावृति को छोड़ दें, ये तो हमारा धंधा है और इसमें हमें करोड़ो रूपए मिलते हैं।
तो देखिये इतना बुरा हाल हुआ पड़ा है और किस गलत रास्ते पर चला जा रहा है आज का हमारा ये समाज. और हमारे धर्मों के पीर-फकीरों ने करोड़ो साल पहले ही ये बता दिया था कि ऐसा घोर और भयानक कलयुग आवेगा जहाँ सब रिश्ते-नातो के परखच्चे उड़ जाएंगे.


पूज्य गुरु जी ने फ़रमाया कि इस घोर कलयुग में काम-वासना के तूफ़ान से बचने में सिर्फ सुमिरन यानी भगवान का नाम ही लोगो का केवल एकमात्र सहारा है क्योंकि सुमिरन से ही विचारों को कण्ट्रोल किया जा सकता है और मन द्वारा दिए जा रहे बुरे विचारों पर विजय हांसिल की जा सकती है।
इसके अलावा कोई दूसरा तरीका नहीं है जिससे कि इन्सान बुरे, गंदे और गलत विचारों को परमानेंट काबू कर पाए क्योंकि मन के पास काम-वासना के अलावा 4 और ऐसे हथियार हैं जिससे की इंसानों को वो हर समय गुमराह करे रखता है, इसलिए अगर सच में आप एक सवस्थ जीवन जीना चाहते हो तो शुरु-शुरू में चलते-फिरते थोडा ही सही लेकिन जुबान और दिमाग में सिमरन तो किया ही करो और अश्लीलता से दूर रहो और जितना हो सके अच्छे लोगों की संगत करो, अपने जन्म दाता 'माँ-बाप' की सेवा करो और अपनी नेक मेहनत की कमाई का कुछ हिस्सा समाज को सुधारने व लाचार व्यक्तियों की सेवा करने में लगाते रहो।



*निष्कर्ष:इतना बताने और समझाने के बाद भी आप जैसा चाहें वैसा कर सकते हैं क्योंकि हर इंसान अपनी मर्जी का मालिक होता है, क्योंकि बतौर एक फकीर/संत/मेंटोर आपको बताना और सही रास्ता दिखाना हमारा फर्ज है और बताई गई बातों पर अमल करना या ना करना वो आपकी मर्जी है. - Saint Dr. MSG Insan


This article is transcripted from one of the preaching sessions of Saint Dr.MSG Insan and we're not intended to treat/diagnose/harm/loss to society or anyone who is a valuable part of society. Thanks For Reading & Thanks For Living. Jai Hind.

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